दोस्तो आज जो विषय पर मैं लिख रहा हूँ । उस के बारे में बहुत ही कम लोगो को जानकारी होगी ।
क्योकी कांग्रेसियों ने इस घटना को दबाने की जबरदस्त कोशिश की थी । और अपने प्रयास में वो लोग बहुत कामयाब भी हुए ।
पर ये घटना इतनी भयानक व दर्दनाक थी । कुछ लोगों ने इस घटना को जितना ही होसका उतना ही बाहर ले आये थे । और उन्ही लोगो की साहसिक प्रयास के कारण इस घटना के बारे में मुझे पढ़ने को मिला ।
दोस्तो पूरी दुनियां जानती है । की कुम्भ जब भी लगता है । उसमें हिन्दुओ की बहुत बड़ी संख्या एक समय एक ही जगह इकठ्ठी होती है ।
क्योकी हिन्दू धर्म में कुम्भ में स्नान का बहुत महत्व है । इसी लिये तो नागा साधू सन्यासियों भी इस स्नान के लिये एकत्रीत हो जाते हैं ।
1954 में भी कुम्भ लगा था । उस समय काँग्रेस की ही सरकार थी । उस कुंभ में भी कड़ोरो हिन्दू पहुँचे थे ।
जैसा की हर कुम्भ में होता है । की नागा साधुओं के स्नान का समय पूर्ण निर्धारित होता है । जिसमे बदलाब नही होता है । जिसे शाही स्नान भी कहा जाता है । इस शाहीस्नान में सिर्फ और सिर्फ नागा साधुओं की भी होती है ।
जो लोग अपने लाव - लश्कर के साथ इस स्नान के लिये आते हैं । उनके इस स्नान से ही उनके अखाड़े का स्थान व महत्व पता चलता है ।
इसी लिये वो लोग इस स्नान के लिये जब आते हैं । तो उन्हें रास्ता बिल्कुल साफ दिया जाता है । क्योकी ये लोग सदैव अधिकतर समय आम जनता से दूर रहकर ही अपना नित्य क्रिया कर्म करते हैं । इसी सब के कारण उनके इस स्नान के समय पुलिस की जबरदस्त सुरक्षा व्यवस्था रहती है । ताकी आम जनता उनके भीड़ में ना फंस जाए और इन लोगो का स्नान वेरोक टोक सम्पन हो जाये ।
इन लोगो का ये स्नान भी कुंभ की तरह ही बहुत महत्वपूर्ण है । 1954 में भी इन लोगो के स्नान का दिन,तारीख,समय पहले से ही निर्धारित था ।
और उसकी व्यवस्था भी की गई थी । पर कुंभ स्नान के रोज ही बड़े - बड़े कांग्रेसी नेता वहाँ पहुँच गये थे ।
कहा तो ये भी जाता है । की उन लोगो में नेहरू भी थे । चुकी काँगेस सरकारे थी । वैसे में कांग्रेसीयो की सुरक्षा व्यवस्था में अधिकतर पुलिसकर्मियों को लगा दिया गया । फलता कुंभ की व्यवस्था में लगे पुलिसकर्मियों को वहाँ से हटना पड़ा और कुंभ की सुरक्षा व्यवस्था भगवान भरोसे रहगयीं ।
ऐसे में जब नागा साधु स्नान के लिये आये तो उस मेले में भगदड़ मच गयीं । चूंकि वहाँ पुलिस थी ही नही इसी लिये ये भगदड़ अपने विकराल रूप में पहुँच गयी और जब तक ये भगदड़ शान्त हुआ तब तक बहुत देर हो चुकी थी ।
चारो ओर जबरदस्त चीख पुकार होने लगी । कितनो के माँग उजर गये कितनो की कोख उजर गयी कोई गिनती ही नही थी ।
जहाँ कुछ समय हर्षोल्लास का माहौल था । अब वहाँ चारो तरफ लाशें ही लाशें बिछी हुई थी । हर तरफ चीख पुकार ,रोने छाती पीटने की आवाज तो घायल लोगो के कराहने की आवाजों से पूरा कुंभ पटा पड़ा था ।
सैकड़ो शवों को तो पहचानना भी सम्भव नही था । इस भगदड़ में हजारों लोगों की मौत होगयी थी । और सबसे दुखद था । कांग्रेसी नेताओं द्वारा इस घटना को दबाया जाना कहि कोई जाँच नही कहि कोई रिपोर्ट नही ।
मीडिया पर भी भारी दबाब डाला गया था । की वो लोग इस घटना को प्रकाशित ना करें । और इस सबके कारण आप इस घटना के बारे में खुद अंदाजा लगाइए की मरने बालो की संख्या कितनी बड़ी होगी । कुछ लोग का उस समय कहना था । कमसे कम भी होगी तो हजारों मे होगी ।
इतनी बड़ी घटना चुकी हिन्दुओ के साथ हुआ क्या इसी कारण इस पर करवाई नही कि गयी इस प्रशन का जबाब कौन देगा ।
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