Tuesday 3 March 2020

कांग्रेसियों के स्वागत में कुंभ में नरसंहार


दोस्तो आज जो विषय पर मैं लिख रहा हूँ उस के बारे में बहुत ही कम लोगो को जानकारी होगी  
क्योकी कांग्रेसियों ने इस घटना को दबाने की जबरदस्त कोशिश की थी और अपने प्रयास में वो लोग बहुत कामयाब भी हुए  
पर ये घटना इतनी भयानक दर्दनाक थी कुछ लोगों ने इस घटना को जितना ही होसका उतना ही बाहर ले आये थे और उन्ही लोगो की साहसिक प्रयास के कारण इस घटना के बारे में मुझे पढ़ने को मिला  
दोस्तो पूरी दुनियां जानती है की कुम्भ जब भी लगता है उसमें हिन्दुओ की बहुत बड़ी संख्या एक समय एक ही जगह इकठ्ठी होती है  
क्योकी हिन्दू धर्म में कुम्भ में स्नान का बहुत महत्व है इसी लिये तो नागा साधू सन्यासियों भी इस स्नान के लिये एकत्रीत हो जाते हैं  
1954 में भी कुम्भ लगा था उस समय काँग्रेस की ही सरकार थी उस कुंभ में भी कड़ोरो हिन्दू पहुँचे थे  
जैसा की हर कुम्भ में होता है की नागा साधुओं के स्नान का समय पूर्ण निर्धारित होता है जिसमे बदलाब नही होता है जिसे शाही स्नान भी कहा जाता है इस शाहीस्नान में सिर्फ और सिर्फ नागा साधुओं की भी होती है  
जो लोग अपने लाव - लश्कर के साथ इस स्नान के लिये आते हैं उनके इस स्नान से ही उनके अखाड़े का स्थान महत्व पता चलता है  
सी लिये वो लोग इस स्नान के लिये जब आते हैं तो उन्हें रास्ता बिल्कुल साफ दिया जाता है क्योकी ये लोग सदैव अधिकतर समय आम जनता से दूर रहकर ही अपना नित्य क्रिया कर्म करते हैं इसी सब के कारण उनके इस स्नान के समय पुलिस की जबरदस्त सुरक्षा व्यवस्था रहती है ताकी आम जनता उनके भीड़ में ना फंस जाए और इन लोगो का स्नान वेरोक टोक सम्पन हो जाये  
इन लोगो का ये स्नान भी कुंभ की तरह ही बहुत महत्वपूर्ण है 1954 में भी इन लोगो के स्नान का दिन,तारीख,समय पहले से ही निर्धारित था  
और उसकी व्यवस्था भी की गई थी पर कुंभ स्नान के रोज ही बड़े - बड़े कांग्रेसी नेता वहाँ पहुँच गये थे  
कहा तो ये भी जाता है की उन लोगो में नेहरू भी थे चुकी काँगेस सरकारे थी वैसे में कांग्रेसीयो की सुरक्षा व्यवस्था में अधिकतर पुलिसकर्मियों को लगा दिया गया फलता कुंभ की व्यवस्था में लगे पुलिसकर्मियों को वहाँ से हटना पड़ा और कुंभ की सुरक्षा व्यवस्था भगवान भरोसे रहगयीं  
ऐसे में जब नागा साधु स्नान के लिये आये तो उस मेले में भगदड़ मच गयीं चूंकि वहाँ पुलिस थी ही नही इसी लिये ये भगदड़ अपने विकराल रूप में पहुँच गयी और जब तक ये भगदड़ शान्त हुआ तब तक बहुत देर हो चुकी थी  
चारो ओर जबरदस्त चीख पुकार होने लगी कितनो के माँग उजर गये कितनो की कोख उजर गयी कोई गिनती ही नही थी  
जहाँ कुछ समय हर्षोल्लास का माहौल था अब वहाँ चारो तरफ लाशें ही लाशें बिछी हुई थी हर तरफ चीख पुकार ,रोने छाती पीटने की आवाज तो घायल लोगो के कराहने की आवाजों से पूरा कुंभ पटा पड़ा था  
सैकड़ो शवों को तो पहचानना भी सम्भव नही था इस भगदड़ में हजारों लोगों की मौत होगयी थी और सबसे दुखद था कांग्रेसी नेताओं द्वारा इस घटना को दबाया जाना कहि कोई जाँच नही कहि कोई रिपोर्ट नही  
मीडिया पर भी भारी दबाब डाला गया था की वो लोग इस घटना को प्रकाशित ना करें और इस सबके कारण आप इस घटना के बारे में  खुद अंदाजा लगाइए की मरने बालो की संख्या कितनी बड़ी होगी कुछ लोग का उस समय कहना था कमसे कम भी होगी तो हजारों मे होगी  
इतनी बड़ी घटना चुकी हिन्दुओ के साथ हुआ क्या इसी कारण इस पर करवाई नही कि गयी इस प्रशन का जबाब कौन देगा
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