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Saturday 7 December 2019

कोको द्वीप समूह' बर्मा को गिफ्ट दे दिया


गांधी की गलतियों पर तो कई किताबें लिखी जा सकती है और इन से कम नेहरू भी नही थे अब आइये इनके कुछ कारनामें जाने ऐसे ही गलतीयो की झरी के कारन आज हम पाक के साथ है चीन के बराबर नही 
चीन ने ग्रेट कोको द्वीप में भारत की गतिविधियों पर नजर रखने की प्रणाली और इलेक्ट्रॉनिक गुप्तचर स्टेशन स्थापित कर लिया है
स्माल कोको द्वीप में चीन की सेना अपना बेस भी बना रही है इन दोनों द्वीपों के जरिए चीन को बंगाल की खाड़ी मलक्का की  खाड़ी के बीच के बेहद महत्वपूर्ण यातायात मार्गों पर अपनी मौजूदगी कायम करने का मौका मिल गया है
 कोको द्वीपों से अंडमान-निकोबार में भारत की नौसैनिक गतिविधियों पर आसानी से नजर रखी जा सकती है   इसके अलावा उड़ीसा के चांदीपुर (जहां मिसाइलें टेस्ट की जाती हैं) और आंध्रप्रदेश के श्रीहरिकोटा (जहां से उपग्रह छोड़े जाते हैं) पर भी चीन निगरानी कर सकता है   एक तरफ ग्वादर और दूसरी तरफ कोको द्वीपों में चीन की मौजूदगी भारत की नौसैनिक घेरेबंदी की तरह है
 कोको द्वीप भारत का ये इलाका आज चीन के कब्जे में है  इसकी कहानी जानकार आपके पैरों तले जमीन खिसक जायेगी
 जवाहर लाल नेहरू का भारत का प्रथम प्रधानमंत्री बन जाने से ज्यादा बड़ी त्रासदी तो शायद ही देश ने आजादी के बाद से अब तक झेली हो
देखा जाए तो कश्मीर ही नहीं  देश में जितनी भी समस्याएं हैं  उनमें से अधिकांश के लिए नेहरू परिवार की सत्ता लोभी राजनीति जिम्मेदार है। अपने को उदार साबित करने और विश् में शांतिरक्षक का तमगा पाने के लिए नेहरू ने कई ऐसी भूलें की हैं   जिनका खामियाजा देश को सैकड़ों वर्षों तक भुगतना पड़ेगा
यदि आपको लगता है 
नेहरू केबल कश्मीर समस्या के लिए ही जिम्मेदार थे तो ये खबर आपको जरुर चौंका देगी नेहरू की गलतियों की लिस्ट इतनी लम्बी है कि उसका विश्लेषण करने में तो वर्षों लग जाएंगे  शायद ही आप जानते हों कि पाकिस्तान चीन को भारत के कश्मीर के हिस्से देने और कश्मीर समस्या के जनक नेहरू ने सैन्य दृष्टि से एक बेहद महत्वपूर्ण इलाके को म्यांमार को तोहफे में दे दिया था  
जो अब चीन के कब्जे में चुका है
ये एक काफी छोटा आइलैंड है जोकि अंडमान के उत्तर में स्थित है और इसे कोको द्वीपसमूह के नाम से जाना जाता है  रणनीतिक दृष्टि से बंगाल की खाड़ी अंडमान सागर भारत के लिए जितने महत्वपूर्ण हैं  उतने ही महत्वपूर्ण अंडमान के उत्तर में स्थित कोको द्वीपसमूह भी हैं
 जो नेहरू की मूर्खता के कारण भारत के हाथ से चला गया जीसे कोको द्वीप समूह!
कहा जाता है वो कोको द्वीपसमूहआसानी से भारत को मिल सकता था   मगर भारत को कोको द्वीपसमूह नहीं मिल सके क्योकि नेहरू की रूचि भारत की सुरक्षा से ज्यादा ब्रिटेन के अपने गोरे दोस्तों को खुश करने में ज्यादा थी
 1950 के दशक में नेहरू ने भारत का कोको द्वीप समूह बर्मा (अब म्यांमार) को उपहार में दे दिया था और कहा कि ये बड़े भाई की तरफ से छोटे भाई को उपहार है   
यह द्वीप समूह अंडमान द्वीप समूह के उत्तर में है और कलकत्ता से इसकी दूरी मात्र 900 किलोमीटर है ( Google Map location -14.100000, 93.365000 ) बाद में इस द्वीप समूह को म्यांमार ने चीन को उपहार में दे दिया और आज चीन ने इस द्वीप समूह को भारतीय गतिविधियों पर निगरानी रखने का अड्डा बना रखा है
अगर यह द्वीप भारत के पास होता तो बंगाल कि खाड़ी में भारत के पास एक सामरिक इलाका होता और यहां से दक्षिण-पूर्वी एशिया के
देशो पे नज़र रखना आसान होता  और साथ ही साथ चीन के खिलाफ हमारे पास एक फॉरवर्ड बेस स्थापित करने का मौका होता
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