दोस्तों आइये जाने ५५ करोड रुपए की कहानी जो भारत ने पाकिस्तान को दिए थे। कहा जाता है । कि ये रुपए मांगे तो पाकिस्तान ने टेंट खरीदने के लिए थे । पर उसने इसका उपयोग भारत के खिलाफ किया था । पाकिस्तान ने इससे हथियार खरीदे थे। पटेल ने इसकी आशंका पहले ही जाहिर करते हुए यह राशि पाकिस्तान को देने से मना कर दीया था । तब गांधी ने आमरण अनशन करने की धमकी दे दी थी ।
पाकिस्तान के नापाक इरादे इसके बनने से पहले ही इसके संस्थापकों के मन में हिलोरे मार रहे थे। जब भारत का बंटवारा हुआ उस समय भारत के खजाने में १५५ करोड रुपए थे।
भारत ने पाकिस्तान को २० करोड रुपए पहले ही दे दिए थे। जीस के बाद पाकिस्तान की सेना कबाइलियों के भेष कश्मीर पर आक्रमण कर दिया। पटेल ने करा रुख अपनाते हुए तत्कालीन सेना अध्यक्षों को आदेश देकर कश्मीर में भारतीय फौज भिजवाई।
भारतीय फौज ने कश्मीर पहुंचकर पाकिस्तान की सेना को खदेर दिया।
इसके बाद पटेल और नेहरू ने तय किया था । कि जब तक पाकिस्तान महत्वपूर्ण समझौतों को नहीं मान लेता तब तक उसे शेष ५५ करोर रुपए नहीं दिए जाएंगे। पटेल ने यह भी कहा कि अगर पाकिस्तान को यह करोडों रुपया दिया गया तो वो इसका उपयोग भारत के खिलाफ करेगा। जब इस बात का पता माउंटबेटन को चला तो उसने गांधी को मना लिया।
गांधीजी ने नेहरूजी और पटेल से बात की जब दोनों ने मना किया कर दीया । तो उन्होंने आमरण अनशन की धमकी दे दी। इसके बाद भी पटेल तो नहीं माने पर रहे नेहरू गांधी के आगे झुक गए और पाकिस्तान को ५५ करोर रुपए देने के लिए राजी हो गए। उन्होंने यह पैसा जनवरी १९४८ के पहले सप्ताह में पाकिस्तान को दिलवा दिया।
गांधी के कहने पर जब ५५ करोड रुपए पाकिस्तान के पास पहुंच गए उसके कुछ घंटे बाद ही पाकिस्तान ने कश्मीर पर फिर से हमला कर दिया। इधर हमला उधर गांधीजी बोल मैं पाकिस्तान जाऊंगा
५५ करोड रुपए मिलने के बाद पाकिस्तान द्वारा कश्मीर पर किए गए हमले से निपटने के लिए भारत रणनीति बना ही रहा था ।
कि गांधी ने अचानक पकिस्तान जाने का निर्णय ले लिया। भारत सरकार के ऊपर दबाव बनाने के लिए गांधीजी ने सात फरवरी १९४८ को लाहौर में अनशन पर बैठने की बात कही।
उस समय यह पाकिस्तान की राजधानी थी। इस्लामाबाद को पाकिस्तान की राजधानी बाद में बनाया गया।
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भारतीय फौज ने कश्मीर पहुंचकर पाकिस्तान की सेना को खदेर दिया।
इसके बाद पटेल और नेहरू ने तय किया था । कि जब तक पाकिस्तान महत्वपूर्ण समझौतों को नहीं मान लेता तब तक उसे शेष ५५ करोर रुपए नहीं दिए जाएंगे। पटेल ने यह भी कहा कि अगर पाकिस्तान को यह करोडों रुपया दिया गया तो वो इसका उपयोग भारत के खिलाफ करेगा। जब इस बात का पता माउंटबेटन को चला तो उसने गांधी को मना लिया।
गांधीजी ने नेहरूजी और पटेल से बात की जब दोनों ने मना किया कर दीया । तो उन्होंने आमरण अनशन की धमकी दे दी। इसके बाद भी पटेल तो नहीं माने पर रहे नेहरू गांधी के आगे झुक गए और पाकिस्तान को ५५ करोर रुपए देने के लिए राजी हो गए। उन्होंने यह पैसा जनवरी १९४८ के पहले सप्ताह में पाकिस्तान को दिलवा दिया।
गांधी के कहने पर जब ५५ करोड रुपए पाकिस्तान के पास पहुंच गए उसके कुछ घंटे बाद ही पाकिस्तान ने कश्मीर पर फिर से हमला कर दिया। इधर हमला उधर गांधीजी बोल मैं पाकिस्तान जाऊंगा
५५ करोड रुपए मिलने के बाद पाकिस्तान द्वारा कश्मीर पर किए गए हमले से निपटने के लिए भारत रणनीति बना ही रहा था ।
कि गांधी ने अचानक पकिस्तान जाने का निर्णय ले लिया। भारत सरकार के ऊपर दबाव बनाने के लिए गांधीजी ने सात फरवरी १९४८ को लाहौर में अनशन पर बैठने की बात कही।
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