राजीव गांधी सुप्रीम कोर्ट को मजाक बना दीये थे ।
ह दोस्तों आप लोग बिल्कुल सही पढ़ रहे है । राजीव गांधी ने अपनी तुस्टीकरण की राजनीति का प्रमाण देते हुए या यु कहे मुस्लिमो को खुश करने के लिए देश के सबसे भरोसेमंद संस्था सुप्रीम कोर्ट के आर्डर को पलटना दिया था । क्या बताये दोस्तों इन कांग्रेसीयो ने मुस्लिमों के वोट के लिये कभी भी देश के बारे में सोचा ही नही ।
दोस्तों ये 1986 की बात है । मां इंदिरा गांधी की मौत के बाद राजीव गांधी देश के प्रधानमंत्री बने थे । प्रधानमंत्री बनने के साथ ही वो राजनीति के दांव-पेंच सीख रहे थे । इसी बीच मध्य प्रदेश के इंदौर की शाह बानो का केस चर्चा में आया था ।
शाह बानो के शौहर मशहूर वकील मोहम्मद अहमद खान ने 43 साल तक शाह बानो के साथ रहने के बाद अचानक तीन तलाक दे दिया । उस समय शाह बानो को उनके पांच बच्चें के साथ घर से निकाल दीया गया था । शादी के वक्त तय हुई मेहर की रकम तो वकील अहम खान ने लौटा दी ।
लेकिन शाह बानो हर महीने गुजारा भत्ता चाहती थीं । जो उन्हें अहमद खान ने देने से साफ मना कर दिया था । तब ऐसे में उनके सामने कोर्ट जाने के अलावा कोई दूसरा रास्ता ही नहीं बचा था । अतः वो कोर्ट की शरण में पहुँची और लम्बे अंतराल और जिरहो के
बाद कोर्ट ने न्यायोचित फैसला शाह बानो के पक्ष में सुनाया और अहमद खान को 500 रुपए प्रति महीने गुजारा भत्ता देने का फैसला सुना दिया। शाह बानो की इस पहल ने बाकी मुस्लिम महिलाओं के लिए कोर्ट जाने का रास्ता खोल दिया ।
जिससे उन तलाक सुदा महिलाओं में गुजारा भत्ता मिलने की उम्मीद जगी थी । अदालत के इस फैसले से देश भर के मुस्लिम समाज के पुरुष बेहद नाराज हुए। दोस्तों यदि आप लोगों को शाह बानो केस याद होगा तो आप लोगो को ये भी ध्यान होगा की जब इसी केस पर
राजीव गांधी की कांग्रेस सरकार ने अपना प्रोगरेसिव चेहरा दिखाया था। केंद सरकार ने अपने गृह राज्य मंत्री आरिफ मोहम्मद खान को आगे किया था। खान ने अपने विचारों को लोकसभा में खुलकर रखा था। आरिफ मोहम्मद ने मौलाना आजाद के विचारों से
अपने भाषण की शुरूआत करते हुए कहा था कि कुरान के अनुसार किसी भी हालत में तालकशुदा औरत की उचित व्यवस्था की ही जानी चाहिए। हम दबे हुए लोगों को ऊपर उठाकर ही कह सकेंगे कि हमने इस्लामिक सिद्धांतों का पालन किया है ।
और उनके साथ न्याय किया है। लेकिन कुछ ही समय पश्चात कंट्टरपंथियों के दबाव में राजीव गांधी ने अपने कदम सिर्फ वापस ही नहीं खींचे बल्कि धारा की विपरीत दिशा में कदम बढ़ाते हुए सुप्रीम कोर्ट के फैसले को ही पलट दिया।
तब तो धर्म की राजनीति कर के राजीव गांधी ने मुस्लिमों को खुश कर दिया था, लेकिन साल 2019 तक उनकी उस गलती का खामियाजा न सिर्फ मुस्लिम महिलाएं भुगत रही थीं, बल्कि कांग्रेस भी भुगतती रही ।
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