दोस्तों फिरोज खान उर्फ फिरोज गाँधी का नाम तो सुने ही होंगे इंदिरा के पती । उनके बारे में ही आज ये ब्लॉग में लिख रहा हूँ ।
और उन्हें भी उनसे नफरत होने लगी थी । इन सब के बाबजूद फिरोज राजनीतिक कारणों से ये लोग फिरोज को झेलते जा रहे थे ।
फिरोज के और इंदिरा के बीच मनमुटाव इतना बढ़ गया था । की फिरोज इन बंदिशों से तंग आकर तलाक लेने का विचार भी बना चुके थे ।
और तलाक के बाद उन्होंने अपनी दूसरी शादी का इंतजाम भी कर लिया था । पर ये वो जानते थे ।
की ये काम उस समय उतना आसान नही था । पर वो इस फिराक में लगे हुए थे । पर जब तक वो तलाक ले पाते व दूसरी शादी कर पाते उनकी अप्राकृतिक मौत होगयी । चुकी उस समय वो नेहरू व गाँधी परिवार के लिये तिरस्कृत हो चुके थे ।
इसी लिये उस समय कोई मीडिया हाउस ने इस खबर को प्रकाशित या खोजबीन करके गाँधी नेहरू परिवार का कोपभाजन नही बनना चाहता था । मात्र कुछेक जगहें इस खबर को जगह दी गयी वो भी नाम मात्र की ।
यही सब कारण रहा की इंदिरा के समाधी पर तो उनके बेटे ,बहुएं, पोते,पोती व अन्य परिवार के सदस्य हमेशा जाते रहते हैं । पर इन मे से कोई भी अपने पिता,दादा,नाना,ससुर की समाधि पर कभी नही गये आखिर क्यों । क्या ये सोचनीय विषय नही है ।
आखिर ये लोग खून तो फिरोज के ही है । मरने के बाद भी उनकी कब्र पर कोई भी परिवार का सदस्य का नही जाना क्या ये सही है । या राजनीतिक लाभ के लिये ही फिरोज को अपना कर फिर उनका त्याग करना क्या सही है । देश मे बहुतों को तो ये भी पता नही होगा । की इंदिरा के पति की कब्र है कहा ।
क्या तलाक लेने व दूसरी शादी करने के विचार के बाद उनकी अप्राकृतिक मौत क्या कुछ शन्देह नही उतपन्न करता है । वैसे आप लोग खुद बहुत समझदार हैं । क्योकी ये पब्लिक है । ये सब जानती है ।
और भी ब्लॉग है । जिसकी link में नीचे दे रहा हूँ । एक बार जरूर उन ब्लॉगों को खोल कर देखे ।
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