दोस्तो
इस ब्लॉग को लिखने से
पहले मै ये बात
साफ कर दूँ ।
की मै सभी स्वतंत्रता
सेनानियों का बहुत सम्मान
करता हूँ । और मेरा
मकसद बिल्कुल भी उनकी कुर्बानी
को कम कर आंकना
नही है ।
पर
हम अगर बीते कल पर विचार
नही करेगे तो आने बाले
कल में बेहतर परिणाम मिलना मुश्किल ही होगा ।
दोस्तो पूरा देश जनता है ।
की
देश मे सबसे बड़ा
आजादी के लिये 1857 में
हुआ था ।
और
यकीनन अगर जैसा की योजना बनी
थी । उस हिसाब
से एक साथ एक
ही समय पूरे देश मे विद्रोह प्रारभ
होता तो हम आजादी
भी पागये होते 1857 में ही ।
क्योकी
पूरा देश उस समय गुलामी
की जंजीर तोड़ कर आजाद होना
चाहता था । पर
सभी राजा रजवाड़े ये अच्छी तरह
समय गये थे की कोई
भी राजा या रजवाड़ा अकेले
अंग्रेजों से देश को
आजाद नही करा पायेगा पर अगर सब
मिल जाये तो जरूर अंग्रेजो
को भगाया जा सकता है
।
क्योकी वो लोग अकेले
- अकेले अंग्रेज से जंग कर
देख चुके थे । तब
उनलोगो ने पूरे देश
के राजा रजवाड़ों से मंत्रणा शुरू
की और जो की
आजादी चाहते थे ।
और
जब इस विद्रोह के
लिये लगभग सारे राजे रजवाड़े तैयार होगये तब सबो ने
मिलकर 1857 के साल को
चुना और एक तारीख
तय की गई जिस
दिन पूरे देश के राजे रजवाड़े
को अंग्रेजों के खिलाफ एक
साथ विद्रोह शुरू करना था ।
और
इस विद्रोह की तैयारी जोड़
शोर से शुरू होगयी
।
सैनिक बढ़ाना ,हथियार निर्माण, व युद्ध से
जुड़ी तमाम जानकारी बिल्कुल गोपनीय तरीके से शुरू की
जाने लगी जिस राजे रजवाड़े को जहाँ जिस
चीज की जरूत दिखी
उसकी पूर्ति दूसरे राजा व रजवाड़े करने
लगे ये पूरी योजना
चरणबध्द तरीके से चल रही
थी ।
बिना अंग्रेजों
को कानो कान खबर के । पर
इसी बीच अंग्रेजों के पास बंदूक
की नई गोली आयी
जिस गोली को चलाने से
पहले उस के पीछे
लगे सील को दाँत से
खींच कर खोलना होता
था ।
फिर वो
बंदूक में लोड की जा सकती
थी । और ऐसा
माना जाता था कि वो
सील गाय व सुगरो के
चर्बी से बनी होती
थी ।
मंगल पाण्डे
कट्टर स्वतंत्रता सेनानी के साथ साथ
एक पक्के ब्राह्मण भी थे ।
जब उन्हें इस बात का
पता चला तो उन्होंने इस
का कड़ा विरोध शुरू किया और देखते देखते
बहुत से हिन्दू व
मुसलमान उनके साथ आने लगे जिसके फलस्वरूप अंग्रेजों ने इस विरोध
का कठोरता से दमन शुरू
किया । उधर जब
कई राजे रजवाड़ो मंगल पाण्डे के विरोध को
देखा तो धीरे - धीरे
उन लोगो ने भी विद्रोह
शुरू कर दिया पर
चूंकि वो समय पूर्ण
निर्धारित नही थी ।
फिर
भी लोग आधे अधूरे तैयारी के साथ ही
शुरू कर दी ।
कई राजे रजवाड़े तो निर्धारित समय
का इंतजार ही करते रहे
। जिसके कारण वो विद्रोह बेअसर
होगया और अंग्रेजो जो
ने उस समय के
विद्रोह को आसानी से
कुचल दिया और देश आजाद
होने से बच गया
।
दोस्तो तब तक अंग्रेजों
को उस विद्रोह की
भनक भी लगगयीं जिसके
फलस्वरूप अंग्रेजों ने जनता व
राजे रजवाड़ो पर इतनी शख्ती
की की उनकी हिम्मत
ही लड़खड़ा गयीं ।
दोस्तो ये
हो सकता है ।
की
मंगल पांडेय को 1857 की विद्रोह जिसकी
तैयारी चल रही थी
। सूचना नही हो । पर
ये बात समझना मुश्किल है । की
देश के इतने कट्टर
समथर्क को देश के
लिये होने बाली इतने बड़े जंग की जानकारी ना
हो ।
खैर शच
और झूठ को जानना बहुत
कठिन है । पर
उस स्थिती पर विचार करना
आसान आगे मर्जी आपकी ।
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