Sunday, 17 January 2021

आर्टिकल 333 कानून या कलंक ?

                                                     आर्टिकल 333 कानून या कलंक ?

जैसा की हम लोगों बचपन से ही सुनते रहे हैं की भारतीय संविधान को भारतीयों ने लिखा है ये संविधान पूर्ण स्वदेशी है हम भारतीय ये मानने भी लगे हैं की ये संविधान हमारा अपना है पर दोस्तो जब भी मैं अपने इस संविधान के बारे में सोचता हूँ मुझे अपना संविधान विभिन्न देशों के संविधान की फोटो कॉपी जैसी लगती है शायद आप में से भी कुछ को ऐसा लगता हो  

दोस्तो अगर ये हमारा अपना संविधान है तो फिर इसमें आर्टिकल 333 जैसे नीति कैसे शामिल किया गया क्योकी जब भी मैं आर्टिकल 333 के बारे में सोचता हूँ ये मुझे कानून कम कलंक ज्यादे लगता है दोस्तो आप मे से जो लोग आर्टिकल 333 के बारे में नही जानते हैं  

आइये उन्हें आर्टिकल 333 कानून के बारे में बतादें दोस्तो अंग्रेज अपने देश मे जब थे उस समय अंग्रेजो के छोटे बड़े सभी कर्मचारी यहाँ आकर रहा करते थे उस समय उन अंग्रेजो के यहाँ के लोगो से रहते - रहते अनेको जायज नाजायज रिश्ते बने थे  

खैर पर जब 1947 को तथाकथित देश आजाद हुआ था तब देश मे मौजूद तमाम अंग्रेज तो देश छोड़ के चले गये पर इन अंग्रेजो के उन सन्तान जिनकी माँ भारतीय थी पिता अंग्रेज थे उनमें से अधिकतर को अंग्रेज लोग यही छोर कर चले गये उन्ही अंग्रेजों के जो सन्तान यहाँ रह गये उन्हें ऐंग्लो इंडियन के नाम से जाना जाने लगा  

पर कमाल की बात तो ये देखिये दोस्तो की जब देश का संविधान लिखा जाने लगा तो उसमें इन ऐंग्लो इंडियनों को कमाल का अधिकार दिया गया दोस्तो आप सब जानते ही है देश में 545 लोक सभा सीटे है जिनमें से चुनाव सिर्फ और सिर्फ 543 सीटों के लिये ही होता है  

बाकी के 2 सीटों को इन्ही आर्टिकल 333 के तहत बिना चुनाव लड़े ही  इन ऐंग्लो इंडियनों में से किसी 2 को खोज कर राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत करबा कर सांसद बना दिया जाता है क्योकी आर्टिकल 333 ऐसा ही करने को कहता है दोस्तो क्या ऐंग्लो इंडियनों को देख कर आप को ऐसा नही लगता ये लोग देश की गुलामी का प्रतीक हो आखिर कोई देश अपने संविधान में अपनी गुलामी के प्रतीक लोगो को इतना महत्वपूर्ण कैसे बना कर रख रखता है

दोस्तों इससे भी कमाल की बात ये है की आजादी के इतने सालों बाद भी ये अंग्रेजो की संतानें है और पूरे देश में इन ऐंग्लो इंडियनों की कुछ संख्या मात्र 265 के लगभग है क्या इस तरह आर्टिकल 333 के जरिये इन्हें इतना महत्वपूर्ण बनाये रखना जायज है  

जब कि देश के कई पिछड़े कबीले जनजाति में से कई यो को आजादी के इतने दिनों  बाद भी सांसद बनने का सौभाग्य नही मिला है क्या ऐसी स्थिति में  2 सीट आर्टिकल 333 के जरिये ऐंग्लो इंडियनों के देते रहना जायज है मेरे समझ से तो नही पर जब तक आप नही चाहेगे आर्टिकल 333 का कलंक देश से नही हटेगा  

ये संविधान देश का है तो इसमें देश के सम्मान की गरिमा को महत्व मिलना चाहिये ना नीचे रोचक ज्ञान वर्धक जानकारी बाली BLOG  का  मै LINK दे रहा हूँ इन BLOG को पढ़ने के लिये उम्मीद है आप लोगो को ये BLOG जरूर पसंद आएगी                    👇 

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