Sunday 31 January 2021

अल्पसंख्यक आयोग का काला सच ?

                                                          अल्पसंख्यक आयोग का काला सच ?

दोस्तों देश में अल्पसंख्यक आयोग के नाम पर देश के बहुसंख्यको की गाढ़ी कमाई  से लिये गये टैक्स की लूट बर्षों से होती रही है दोस्तो 1984 के दंगों में सिखों के कत्लेआम करने बाले मुसलमानो को काँग्रेस ने तोफे के रूप में 1993 में अल्पसंख्यक आयोग का गठन कर दिया दोस्तो इस अल्पसंख्यक आयोग की कोई ना मूल नीति है ना ही कोई सिद्धान्त है इसकी सत्यता आप RTI डाल कर आप खुद भी  जान सकते हैं

दोस्तो इस अल्पसंख्यक आयोग की अति तो तब होने लगी जब केंद्र की तरह राज्यों में भी अल्पसंख्यक आयोग बन गयी और ये अल्पसंख्यक आयोग भी काम करने लगा यानी अल्पसंख्यको को केंद राज्य दोनो जगहों से पैसा मिलने लगी दोस्तो ये पैसा आप के और हमारे कमाई से लिया गया टैक्स है अर्थात हिन्दुओ का पैसा है क्योकी 99% मुस्लिम से ना तो tax मिलती है ना ही GST क्योकी ये लोग नोकरी तो करते ही नही

देश में कुल 50 हजार पारसी है इनका अल्पसंख्यक आयोग में होना वाजिब है   2.5% सिखों को भी अल्पसंख्यक मान सकते हैं लेकिन देश मे मौजूद 30 से 40 कड़ोर मुसलमान अल्पसंख्यक कैसे हुए आप खुद ही कहिये आप मे से कुछ लोगो के मन में ये सवाल आया होगा की अल्पसंख्यक लोगो को चिन्हित राज्यो में मौजूद उनकी संख्याओं के आधार पर की जाती होगी तो दोस्तो ऐसा बिल्कुल नही है  

2011 के जनगणना के अनुसार देश के आठ राज्यों  में हिन्दू अल्पसंख्यक है पर इन आठो राज्यों में हिंदुओं को अल्पसंख्यक नही माना जाता है इन राज्यों में भी वो अल्पसंख्यक होते हुए भी बहुसंख्यक माने जाते हैं और इससे भी कमाल बात ये है की इन राज्यों में बहुसंख्यक होते हुए भी मुस्लिम समुदाय को अल्पसंख्यक मानकर अल्पसंख्यक आयोग से आर्थिक मदद मिलती है

मेघालय में हिन्दू 11% है और ईसाई 88% पर यहाँ हिन्दू नही ईसाई अल्पसंख्यक माने जाते हैं अरुणाचल प्रदेश में हिन्दू मात्र 29% होते हुए भी बहुसंख्यक माने जाते हैं नागालैंड में हिन्दू 8% ही है फिर भी इस राज्य में हिन्दू बहुसंख्यक माने जाते हैं मिजोरम में हिन्दू मात्र 2.75% है पर यहाँ भी हिन्दुओ बहुसंख्यक कहे जाते हैं

जम्मू कश्मीर में हिन्दू की कुल आबादी 28.44% ही है पर यहाँ भी अल्पसंख्यक मुसलमानो को ही माना जाता है पंजाब में हिन्दू  38.40%  होते हुए भी बहुसंख्यक माने जाते हैं सबसे कमाल तो लक्ष्यद्वीप में है वहाँ 98% मुसलमान हैं और 2% हिन्दू फिर भी यहाँ मुसलमानो को अल्पसंख्यक मान कर अल्पसंख्यक आयोग उन्हें आर्थिक सहायता पहुचाती है  

अब आप ही कहिये दोस्तो क्या अल्पसंख्यक आयोग हिन्दुओ को लूटने के लिये बना है या नही दोस्तो चलता है तो चलने दीजिये मत कहिये जो गलत है उसे कहिये नही तो ये बंद नही हो पायेगा

अल्पसंख्यक आयोग ना ही पूरे देश में अल्पसंख्यक है उस आधार पर ही चलती है ना ही राज्य में जो अल्पसंख्यक है उस आधार पर चलती है वश ये चलती है की मुस्लिम अल्पसंख्यक है इस आधार पर दूसरी बात एक ही चीज के लिये राज्य और केंद्र दोनो से मदद देना क्या हिंदुओं के tax के पैसों की लूट नही है तो क्या है क्या फिर भी आप उन्हें वोट नही देगे जो इसे सुधार सकते हैं

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