गांधी की गलतियों पर तो कई किताबें लिखी जा सकती है । और इन से कम नेहरू भी नही थे । अब आइये इनके कुछ कारनामें जाने । ऐसे ही गलतीयो की झरी के कारन आज हम पाक के साथ है । चीन के बराबर नही
चीन ने ग्रेट कोको द्वीप में भारत की गतिविधियों पर नजर रखने की प्रणाली और इलेक्ट्रॉनिक गुप्तचर स्टेशन स्थापित कर लिया है ।
स्माल कोको द्वीप में चीन की सेना अपना बेस भी बना रही है । इन दोनों द्वीपों के जरिए चीन को बंगाल की खाड़ी व मलक्का की खाड़ी के बीच के बेहद महत्वपूर्ण यातायात मार्गों पर अपनी मौजूदगी कायम करने का मौका मिल गया है ।
देखा जाए तो कश्मीर ही नहीं देश में जितनी भी समस्याएं हैं । उनमें से अधिकांश के लिए नेहरू परिवार की सत्ता लोभी राजनीति जिम्मेदार है। अपने को उदार साबित करने और विश्व में शांतिरक्षक का तमगा पाने के लिए नेहरू ने कई ऐसी भूलें की हैं । जिनका खामियाजा देश को सैकड़ों वर्षों तक भुगतना पड़ेगा ।
यदि आपको लगता है ।
नेहरू केबल कश्मीर समस्या के लिए ही जिम्मेदार थे । तो ये खबर आपको जरुर चौंका देगी ।नेहरू की गलतियों की लिस्ट इतनी लम्बी है । कि उसका विश्लेषण करने में तो वर्षों लग जाएंगे । शायद ही आप जानते हों कि पाकिस्तान व चीन को भारत के कश्मीर के हिस्से देने और कश्मीर समस्या के जनक नेहरू ने सैन्य दृष्टि से एक बेहद महत्वपूर्ण इलाके को म्यांमार को तोहफे में दे दिया था ।
जो अब चीन के कब्जे में आ चुका है ।
ये एक काफी छोटा आइलैंड है । जोकि अंडमान के उत्तर में स्थित है । और इसे ‘कोको द्वीपसमूह’ के नाम से जाना जाता है । रणनीतिक दृष्टि से बंगाल की खाड़ी व अंडमान सागर भारत के लिए जितने महत्वपूर्ण हैं । उतने ही महत्वपूर्ण अंडमान के उत्तर में स्थित कोको द्वीपसमूह भी हैं ।
कहा जाता है वो ‘कोको द्वीपसमूह’ आसानी से भारत को मिल सकता था । मगर भारत को कोको द्वीपसमूह नहीं मिल सके क्योकि नेहरू की रूचि भारत की सुरक्षा से ज्यादा ब्रिटेन के अपने गोरे दोस्तों को खुश करने में ज्यादा थी ।
यह द्वीप समूह अंडमान द्वीप समूह के उत्तर में है । और कलकत्ता से इसकी दूरी मात्र 900 किलोमीटर है । ( Google Map location -14.100000, 93.365000 ) बाद में इस द्वीप समूह को म्यांमार ने चीन को उपहार में दे दिया और आज चीन ने इस द्वीप समूह को भारतीय गतिविधियों पर निगरानी रखने का अड्डा बना रखा है ।
अगर यह द्वीप भारत के पास होता तो बंगाल कि खाड़ी में भारत के पास एक सामरिक इलाका होता और यहां से दक्षिण-पूर्वी एशिया के
देशो पे नज़र रखना आसान होता और साथ ही साथ चीन के खिलाफ हमारे पास एक फॉरवर्ड बेस स्थापित करने का मौका होता ।
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