मजहब ही सिखाता आपस में बैर करना ?
दोस्तो आप लोगो मे से बहुतों को ये बात बेकार लग रही होगी । यकीन मानिये जब आप लोग इस ब्लॉग को पूरा पढेंगे तो जरूर आप भी यही कहेंगे । कि मजहब ही सिखाता आपस में बैर करना । दोस्तो दुनिया में सभी मजहब के लोग दूसरे धर्मों के लोगो को अपना दोस्त व भाई मान सकते हैं ।
दिल से पर कटुवे कभी भी किसी दूसरे धर्म के लोगो को दोस्त या भाई नही मान सकते दिल से ये हमेशा याद रखियेगा । अगर आप ये सोचते हैं की दूसरे धर्म के लोगो के साथ कटुवे मिल के रहेगे तो आप दिन में तारे देख रहे हैं । कटुवे किसी दूसरे धर्म के लोग को अपना मान ही नही सकते ।
ये जो गंगा जमुना तहजीब की बात करने बाले नेता लोग हैं । उन से जड़ा पूछिये अगर ये गंगा जमुनी तहजीब उस वक्त कहा थी । जब सोमनाथ तोड़ा व लुटा जा रहा था । तब कहा थी जब काशी विश्वनाथ को कुँए में भेकने की नोबत आ गयी । तब कहा थी । जब मथुरा में मंदिरे तोड़ी गई ।
तब कहा थी जब जम्मू कश्मीर में मस्जिदों से अजान के बदले हिन्दुओ को कश्मीर छोर कर चले जाने की धमकी दी जा रही थी ।इतिहास उठाकर देख लीजियेगा जिस धर्म के लोगो ने या जिस मुल्क ने इन्हें अपना भाई ,दोस्त समझने की गलती की उस धर्म के लोगो व उस देश का अस्तित्व ही खत्म होगया है ।
दोस्तो और ऐसा इस लिये हो रहा है । क्योकी इन कटुओ की जो धार्मिक ग्रंथ है । जिस की चर्चा ये लोग हर बात में करते हैं । उसी धार्मिक ग्रंथ 24 हजार से भी अधिक आयते है । उन तमाम आयतों में 24 आयते ऐसी है जिसे देख कर आप भी समझ जायेंगे ।
इसी सम्बन्ध में 31 जुलाई 1986 को जस्टिस जेड.एस. लुहास ने एक फैसला दिया था । जिसमे कहा गया की कुरआन शरीफ की आयतों में 24 आयते ऐसी है । जो कहती है । जो लोग दूसरे धर्म के है । जो लोग इस्लाम को नही मानते उनकी हत्या जायज है । और ऐसी स्थिति में हिंदुस्तान में शांति अमन कायम नही हो सकता ।
आप के पास यदि ये ग्रथ है । तो उस ग्रन्थ के सूरा नम्बर 9 आयत नम्बर 5 देखिये जिसमें लिखा है । मुशरिक जहाँ भी मिले और वो अल्लाह को कबूल करने से मना कर दे तो उसका कत्ल वाजिब है । दुनिया के तमाम आतंवादी संगठन बिल्कुल वही कर रहे हैं । यही कारण है ।
की इन आतंकवादियों को मुसलमान व मुस्लिम मुल्कों का पूरा साथ मिला हुआ है । यही कारण है । कि कोई मुस्लिम देश या मुसलमान इन के खिलाफ कुछ नही करता क्योकी ये लोग जानते हैं । ये आतंवादी उनके धर्मिक ग्रंथ के कहे अनुसार ही चल रहा है ।
ये कटुवे अपने बच्चों को 3/4साल से ही मदरसों में भेजते हैं । जहाँ उन बच्चों को उतनी छोटी उम्र से ही उस धार्मिक ग्रंथ को पढ़ाया जाता है । अब आप खुद कल्पना कीजिए की जब किसी को उतनी छोटी उम्र से ही ऐसी बाते पढ़ाई जायेगी तो बड़े होते होते तो पूरी तरह उस धर्म ग्रंथ के लिये समर्पित हो जायेगा ।
ऐसे में वो किसी भी हालत में वो दूसरे धर्म के लोगो को अपना दोस्त या भाई कैसे मान सकता है । इसी लिये आज ये आतंवादी के लिये सब कत्ल के लायक होते हैं । ये बाते आप हम सरकारें जितनी जल्दी मान लेंगे उतनी कम हानि होगी ।नीचे रोचक व ज्ञान वर्धक जानकारी बाली BLOG का मै LINK दे रहा हूँ । इन BLOG को पढ़ने के लिये उम्मीद है आप लोगो को ये BLOG जरूर पसंद आएगी । 👇
अर्थव्यवस्था पटरी पर
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