मोपला विद्रोह : केरल के मोपला में मुसलमानों द्वारा १९२1में स्थानीय जमीदारो एवं ब्रिटिशो के विरुद्ध किया गया विद्रोह मोपला विद्रोह कहलाता है।
यह विद्रोह मालाबार के एरनद व वल्लुवानद तालुका में खिलाफत आन्दोलन के विरुद्ध अंग्रेजों द्वारा की गयी दमनात्मक कार्यवाही के विरुद्ध आरम्भ हुआ था। इसमें काफी संख्या में मुसलमानो द्वारा हिन्दुओ का कत्ल और उन पर अत्याचार हुआ। इसी को आधार बनाकर विनायक दामोदर सावरकर ने 'मोपला' नामक उपन्यास की रचना की थी।
मालाबार तट पर केरल में 1836 -1922 तक यहा के जागीरदार हिन्दू थे । जब कि निम्न जाति के किसानों ने इसाई एवं मुस्लिम जैसे धर्म ग्रहण कर लिया
1836 में इसकी शुरुआत अली मुस्लियार खाँ के नेतृत्व में हुई दूसरी बार 1922 में पुनः शुरुआत हुई व खिलाफत आंदोलन से मिल गया ।
मालाबार क्षेत्र में मोपलाओं द्वारा 1922 ई. में विद्रोह किया गया। प्रारम्भ में यह विद्रोह अंग्रेज़ हुकूमत और छंद रूप से काफिरों (हिन्दुओ) के विरुद्ध था। महात्मा गाँधी, शौकत अली, मौलाना अबुल कलाम आज़ाद जैसे नेताओं का सहयोग इस आन्दोलन को प्राप्त था।
इस आन्दोलन के मुख्य नेता के रूप में 'अली मुसलियार' चर्चित थे। 15 फ़रवरी, 1922. को सरकार ने निषेधाज्ञा लागू कर ख़िलाफ़त तथा कांग्रेस के नेता याकूब हसन, यू. गोपाल मेनन, पी. मोइद्दीन कोया और के. माधवन नायर को गिरफ्तार कर लिया।
इसके बाद यह आन्दोलन स्थानीय मोपला नेताओं के हाथो में चला गया। 1922 ई. में इस आन्दोलन ने हिन्दू-मुसलमानों के मध्य साम्प्रदायक आन्दोलन का रूप ले लिया, परन्तु शीघ्र ही इस आन्दोलन को कुचल दिया गया। लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी
छोटी-छोटी कन्याओ का मोपले मुसलमानों द्वारा बलातकार किया गया और माताओ का बलातकार कर उनके अबोध बच्चो को भाले की नोक पर उछाला गया उनका सिर कलम अर्थात काटा गया ।
और गांधी इस के खीलाफ ना तो खुद कुछ कीये और ना ही कीसी को कुछ करने दीये नतीजन हिन्दू व मुसलमानों के बीच गहरी खाई बन गयी जो भारत के वीकास की गती को तेज नही होने दे रही है । और भारत पाकिस्तान जैसा ही रहा चीन सा नही हो पाया
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