दोस्तो जैसे की आप लोग जानते ही है । की नेहरू व गाँधी भारत को कैसे चीन से पीछे रखने की भरसक कोशिश की थी । उसी के संदर्भ में एक और कड़ी पेश कर रहा हूँ ।
दोस्तो जब अंग्रेज से आजादी मिली तो देश के दो टुकड़े भी हुए और और मकरान नामक स्थान पाकिस्तान में सामिल होगया और उसे जिला भी बना दिया गया ।
ग्वादर का स्वामित्व उस समय ओमान के पास ही था । पर ग्वादर के लोगो ने पाकिस्तान में मिलने के लिये आंदोलन शुरू कर दिया था । 1954 में पाकिस्तान ने ग्वादर में बंदरगाह बनाने के लिये अमेरिका के साथ बात शुरू की जिस के बाद ही अमेरिकी ने ग्वादर का जियोलॉजीकल सर्वे किया और अपने रिपोर्ट में कहा कि ग्वादर को डीप सी पोर्ट के अनुकूल बंदरगाह बनाने की सही परिस्थितिया है ।
तब भारत व ओमान के सम्बन्ध अच्छे थे । जिसके कारण पाकिस्तान को लगता था । की ओमान ग्वादर भारत को सौप सकता है ।
इस डर से पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाह नुन ओमान के दौरे पर गये और ओमान के सुल्तान के साथ तकरीबन तीन मिलियन डॉलर की रकम में ग्वादर का सौदा कर लिया और 8 /12/1958 को ग्वादर पाकिस्तान का हिस्सा बन गया उसे मकरान जिले में तहसील के दर्जा दिया गया ।
भारत मे कई लोगो का कहना है की ग्वादर को ओमान ने भारत को सौपने या बेचने की इच्छा जताई थी । लेकिन तब की सरकार बोली थी । की भारत से लगभग 700 किलोमीटर की दूरी पर स्थित एक जगह को पाकिस्तान से बचाये रखना मुश्किल काम होगा ।
भारत के इस विचार को जानकर ही ओमान ने ग्वादर पाकिस्तान को बेचा । पर पाकिस्तान जल्द इस पोर्ट पर कुछ ज्यादे नही कर सकता । उसने 1993 में इस पोर्ट को इस्तेमाल करना शुरू किया ।
जिसके बाद 2002 में इलाके का तेजी से विकाश शुरू हुआ जब ग्वादर से कराची हाइवे बनने की शुरुआत हुई । 2013 में चीन व पाकिस्तान के बीच हुए समझौते में पाकिस्तान ने 40 साल के लिये ग्वादर पोर्ट को चीन को किराये पर दिया है ।
वही भारत को इस कदम की काट के लिये ग्वादर से 170 किलोमीटर दूर ईरान के चाबहार पोर्ट को विकसित करना पर रहा है । अमेरिका ने ईरान प्रतिबंध से चाबहार पोर्ट को अलग रखा है । पर अगर ये प्रतिबंध और गहरा होता है । तो चाबहार पोर्ट भी इस मे समिल हो सकता है ।
और अगर ऐसा होता है । तो ग्वादर की तोड़ के भारत के मिशन को झटका लग सकता है ।
तो दोस्तो नेहरू की बेबकूफी के कारण भारत के लिये हमेशा - हमेशा के लिए एक खतरा ग्वादर के रूप में खड़ा हो गया है ।
ऐसे अनगिनत बेबकूफ़ी यो के कारण ही भारत चीन से पीछे रह गया है । पाकिस्तान के बराबर
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